पिछली गर्मियों की बात है जब मेरे पति की बुआ का लड़का राहुल हमारे घर आया था, वो बहुत ही सीधा सादा ओवर भोला सा है, उसकी उम्र करीब 19-20 की होगी, मगर उसका बदन ऐसा था कि किसी भी दिन को आकर्षित कर ले , मगर वो ऐसा था कि लड़की को देख कर उसके सामने भी नहीं आता था। मगर मैं हमसे चुदने के लिए तड़प रही थी और वो ऐसा बुद्धू था कि उसे मेरी जवानी दिख ही नहीं रही थी, मैं उसे अपनी गांड हिला हिला कर देखती रहती मगर वो देख कर भी दूसरी बार मुंह फेर लेती। जहां तक कि मैं वैसे भी उसके साथ बात करती तो वो शर्म से अपना मुंह छिपा रहा होता। मैं समझ चुकी थी कि ये शर्मिला लड़का कुछ नहीं करेगा, जो करना है मुझे ही करना है।
एक दिन मुख्य सुबह के वक्त मुख्य अपने सास को ससुर को चाय देकर जब उसके कामरे में चाय लेकर गई तो वो सो रहा था मगर उसका बड़ा सा कड़क लौड़ा जग रहा था, मेरा मतलब है कि उसका लौड़ा पजामे के अंदर खड़ा था और पजामे को खड़ा था बना रखा था.
मेरा मन उसका लौड़ा देख कर बेहाल हो रहा था कि अचानक उसकी आंख खुल गई, वो अपने लौड़े को देख कर घबरा गया, ओवर झाट से अपने ऊपर चादर लेकर अपने लौड़े को छुपा लिया। मैं चाय लेकर उसकी चारपाई पर ही बैठ गई और अपनी कमर उसकी टांगों से लगा दी। वो अपनी इच्छाएं पूरी करने की कोशिश कर रहा था लेकिन मैं ऊपर उठ कर उसके पेट से अपनी गांड लगा कर बैठ गया।
उसकी परेशानी बढ़ती जा रही थी यार शायद मेरे गरम बदन के छूने से उसका लौड़ा भी बड़ा हो रहा था जिसे वो चादर से छिपा रहा था।
मैंने उसे कहा- राहुल उठो और चाय पी लो!
मगर वो उठाता कैसे उसके पजामे में तो तैंतीस बना हुआ था, वो बोला- भाभी, चाय रख दो, मैं पी लूंगा।
मैंने कहा- नहीं, पहले तुम उठो, फिर मैं जाऊँगी।
तो वो अपनी टांगों को जोड़ कर बैठ गया और बोला- लाओ भाभी, चाय दो।
मैंने कहा- नहीं, पहले अपना मुंह धोकर आओ, फिर चाय पीना।
अब तो मानो उसे कोई जवाब नहीं सूझ रहा था, वो बोला- नहीं भाभी, ऐसे ही पी लेता हूं, तुम चाय दे दो।
मैंने चाय एक तरफ रख दी और उसका हाथ पकड़ कर उसे खींचते हुए कहा- नहीं, पहले मुंह धोकर आओ फिर चाय मिलेगी।
वो एक हाथ से अपने लौड़े पर राखी हुई चादर को संभाल रहा था और चारपाई से उठाने का नाम नहीं ले रहा था।
मैंने उसे पूछा- राहुल, या चादर में क्या छुपा रहे हो?
तो वो बोला- भाभी कुछ नहीं है। मगर मैंने उसकी चादर पकड़ कर खींच दी तो वो दोउड कर बाथरुम में घुस गया। मुझे उस पर बहुत हंसी आ रही थी। वो काफी देर के बाद बाथरुम से निकला जब उसका लौड़ा बैठ गया।
ऐसे ही एक दिन मैंने अपने कमरे के पंखे की तार पंखे से तोड़ दी, फिर राहुल को कहा- तार लगा दो।
वो मेरे कामरे में आया और बोला- भाभी, कोई शांत चाहिए जिस पर मैं खड़ा हो सकता हूं।
मैंने कहा, राहुल उस पार चढ़ गया, तो मैंने नीचे से उसकी टांगें पकड़ ली, मेरा हाथ लगता ही जैसे उसका कारण लग गया हो, वो झट से नीचे उतर गया।
मैंने पूछा- क्या हुआ देवर जी? आला क्यों उतर गए?
तो वो बोला- भाभी जी, आप मुझे मत पकादो, मैं ठीक हूं।
जैसे ही वो फिर से ऊपर चढ़ा, मैंने फिर से उसकी टांगें पकड़ ली वो फिर से घबरा गया ऊपर बोला- भाभी जी, आप छोड़ दो, मुझे मैं ठीक हूं।
मैंने कहा- नहीं राहुल, अगर तुम गिर गये तो…?
वो बोला- नहीं गिराता.. एपी शुल को पकड़ लीजिये.. मैंने फिर से शरारत भरी हंसी हंसते हुए कहा- अरे सुत गिर जाये तो गिर जाये, मैं अपने प्यारे देवर को नहीं गिराने दूंगी…मेरी हंसी देख कर वो समझ गया कि भाभी मुझे नहीं छोड़ेंगी, लेकिन वो चुपचाप फिर से ठीक करने लगा।
मैं धीरे धीरे उसकी टांगों पर हाथ ऊपर ले जाने लगी जिससे उसकी हालत फिर से पतली होती मुझे दिख रही थी। मैं धीरे-धीरे अपने हाथ उसकी जांघों तक ले ऐ मगर उसके पास गर्मी से काम मेरा हाथ लगाने से ज्यादा छूट रहे थे। वो जल्दी से तार ठीक कराके बाहर जाने लगा तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली- देवर जी, आपने मेरा पंखा तो ठीक कर दिया, अब बोलो मैं आपकी क्या सेवा करूं?
तो वो बोला- नहीं भाभी, मैं कोई दुकान थोड़े ही हूं जो आपसे पैसे लूंगा।
मैंने कहा- तो मैं कौन से पैसे दे रही हूं, मैं तो सिर्फ सेवा के बारे में पूछ रही हूं, जैसे आपको कुछ खिलाऊं या पिलाऊं?
वो बोला- नहीं भाभी, अभी मैंने कुछ नहीं पीना!
और बाहर भाग गया.
मैं उसे हर रोज ऐसे ही सताती रहती जिसका कुछ असर भी दिखाने लगा क्योंकि उसने चोरी चोरी मुझे देखना शुरू कर दिया, मैं जब भी उसकी या अचानक देखती तो वो मेरी गांड या मेरी छठी की तरफ नजरें टिके देख रहा होता और मुझे देख कर नजर दुसारी या कर लेता. मुख्य भी जनबुझ कर उसका खाना खिलते समय अपनी छति झुक झुक कर देखती है, काई बार तो बैठे बैठे ही उसकी दर्द में तंबू बन जाता है और मुझसे छिपने की कोशिश करता है।
मैं तो उसका लौड़ा अपनी चूत में घुसावने के झूठ बेकरार थी, अगर सास-ससुर घर पर ना होते तो अब तक मैंने ही उसका बलात्कार कर दिया होता।
मगर जल्दी मुझे ऐसा मौका मिल गया। एक दिन हमारे रिश्तों में किसी की मौत हो गई, मेरे सास ससुर को वहां जाना पड़ गया।
मैंने अपने मन में ठान ली थी कि आज मैं राहुल से चुद कर ही रहूंगी।
सास-ससुर के जाते ही राहुल भी मुझसे बचने के लिए झूठ बोलने की तलाश में थे, पहले तो वो काफी देर तक घर से बाहर रहा, एक घंटे खराब जब मैंने उसे मोबाइल पर फोन किया और खाना खाने के झूठ घर बुलाया तब जाकर वो घर अया.
मुख्य अपना खुद का खाना अपने कामरे में ही ले गई, उसे अपने अपने कामरे में बुला लिया, मगर वो अपना खाना उठा कर अपने कामरे की या चल दिया, मेरे लाख कहने के बाद भी वो नहीं रुका तब मैं भी अपना खाना उसे अपने कामरे में ले गया गै ओउर बिस्तार पर उसके साथ बैठ गै।
वो फिर भी मुझसे शर्मा रहा था, उसे भी पता था कि आज मैं उसे ज्यादा परेशान करूंगी।
मैंने उससे पूछा- रहुला.. मैं तुम्हें अच्छी नहीं लगती क्या…?
तो वो बोला- नहीं भाभी, आप तो बहुत अच्छी हैं… मैंने कहा- तो फिर तुम मुझसे हमेशा भागते क्यों रहते हो…?
वो बोला- भाभी, मैं कहां आपसे भागता हूं?
मैंने कहा- फिर अभी क्यों मेरे कमरे से भाग आए थे, शायद मैं तुम्हें अच्छी नहीं लगती, तभी तो तुम मुझसे ठीक तरह से बात भी नहीं करते।
“नहीं भाभी, अभी तो मैं बस यूं ही अपने कमरे में आ गया था.. आप तो बहुत अच्छी हैं..” मैंने कहा- झूठ मत बोलो! मैं तुम्हें अच्छी नहीं लगती, तभी तो मेरे पास भी नहीं बैठती। अभी भी देखो कैसे दूर होकर बैठे हो? अगर मैं सच में तुम्हें अच्छी लगती हूं तो मेरे पास आकर बैठो…. मेरी बात सुन कर वो थोड़ा सा मेरी या सरक गया।
हां देख कर मैं बिलाकुल उसके साथ जुड़ कर बैठ गई जिससे मेरी गांड उसकी जांघ को ओवर मेरी छती के उबर उसकी बाजू को छूने लगे…. मैंने कहा- ऐसे बैठते हैं देवर भाभियों के पास…. अब बोलो ऐसे ही बैठो करोगे या डर डर…?
वो बोला- भाभी, ऐसे ही बैठूंगा मगर मुझे बुआ गुस्सा तो नहीं होगी? क्योंकि लड़कियाँ के साथ ऐसा कोई नहीं बैठता।
मैंने कहा- अच्छा अगर तुम अपनी बुआ से डरते हो तो उनके सामने मत बैठो। मगर आज वो घर पर नहीं है इसलिए आज मैं तुम को कहूंगी वैसा ही करना।
उसने भी शरमाते हुए हन मेन सर हिला दिया… अब हम खाना खा चुके थे, मैंने उसे कहा- अब मेरे कमरे में आ जाओ…
वो बोला- भाभी, आप जाओ, मैं आता हूं।
उसकी बात सुन कर जब मैंने उसकी दर्द की या देखा तो मैं समझ गई कि याह अब उठने की हालत में नहीं है।
मेन्ने बार्टन उथै ओउर रसोई मेन छोड़ कर अपने कामरे मेन ए गाई।
थोड़ी देर बाद ही राहुल भी मेरे कमरे में आ गया, लेकिन बिस्तार के पास पड़े शूल पर बैठ गया।
मैंने टीवी चालू किया और बिस्तार पर बैठ गया, लेकिन राहुल को भी बिस्तार पर आने के लिए कहा।
वो बोला- नहीं भाभी, मैं यहां ठीक हूं।
मैंने कहा- अच्छा तो अपना वादा भूल गए कि तुम मेरे पास बैठोगे…?
हां सुन कर उसे बिस्तार पर आना ही पड़ा, मगर फिर भी वो मुझसे दूर ही बैठा। मैंने उसे और भी बुरा कहा, वो थोड़ा सा और पास हो गया।
मैंने फिर कहा तो थोड़ा या वो मेरे पास आ गया, बाकी जो थोड़ी बहुत कसर रहती थी वो मैंने खुद उसे साथ जज कर निकल दी। जब भी कोई गर्म नजारा अता तो वो अपना ध्यान दुसरी या कर लेता… मगर उसे लोदे पर मेरा मतलब उन पापों का असर हो रहा था, जिसे वो बड़ी मुश्किल से अपनी टांगों में छुपा रहा था।
मैंने अपना सारा कंधे पर रख दिया, ऊपर बोली- राहुल आज तो बहुत गर्मी है… उसने भी हन में जवाब दे दिया… फिर मैंने अपना दुपट्टा अपने गले से निकाल दिया, जैसे मेरे मम्मे उसके सामने आ गए, वो कभी कभी मेरे मम्मों की या देखता है फिर से तीवि देखने लगता है। usake pasine chhutane shuru ho gye the.
मैंने कहा- राहुल, तुमको तो बहुत पसीना आ रहा है, तुम अपनी छुट्टी उतार लो।
हां सुनकर तो उसके ऊपर छक्क छूट गए, बोला- नहीं भाभी, मैं ऐसे ही ठीक हूं।
मैंने उसकी छुट्टी कर दी, हाथ घुसा कर उसकी छत पर हाथ रगड़ कर कहा- कैसे ठीक हो, या देखो, कितना पसीना है?
और अपने हाथ से उसकी ती-शर्त ऊपर उठाने लगी… वो अपनी ती-शर्त उतारने को नहीं मन रहा था, तो मैंने उसकी ती-शर्त अपने ऊपर उठा दी।
वो ती-शार्ट को अलग खींच रहा था ओवीआर मुख्य उपरा.. इस बिच मैं अपने मम्मे कभी उसकी बाजु पर लगाती ओउर कभी उसकी पीठ पर… ओउर कभी उसे सर से लगाती…जब वो नहीं मना तो मैंने उसे बिस्तर पर इस्तेमाल किया गिरा दिया ओवरा… खुद उसे ऊपर ले गया जिसे अब मेरे मम्मे उसकी छत पर टोकरा रहे थे, लेकिन ओउर मुख्य लगतार उसकी ऊपर खिंच रही थी। उसे गिराने के कारण उसका लौड़ा भी दर्द में उछल रहा था, जो मेरे पेट से कभी कभी रगड़ जाता था, मगर राहुल अपने कमर को दूसरा या घुमा रहा था ताकि उसका लौड़ा मेरे बदन के साथ और लग सके… आखिर में उसने हर आदमी ली ओवर मेन्ने उसकी ती-शर्त उतर दी।
अब उसकी छठी जिस पर छोटे-छोटे बाल थे मेरे मम्मों के नीचे थी.. मगर मैंने अभी उसे और गर्म करना चाहा ताकि मुझे उसका बलात्कार न करना पड़े, लेकिन वो खुद मुझे चोदने के लिए झूठ बोले।
मुख्य उसके ऊपर से उठी और रसोई में से इसाक्रिम एक ही कप में ले ऐ, मेरे आने तक वह बैठ चूका था.. मुख्य फिर से उसके साथ बैठ गई खुद एक छम्मच खाकर कप उसके उम्र कर दिया। उसे छम्मच उथाया और ऐसाक्रिम खाने लगा तो मैंने उसे अपना कंधा मारा जिससे उसकी ऐसी क्रिम उसके पेट पर गिर गई। मैने झाट से उसके पेट से उंगली के साथ ऐस क्रिम उथई ओवर यूसी के मुंह की या कर दी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ आज क्या हो रहा है। फिर उसने मेरी उंगली अपने मुंह में ली और चाट ली मगर मैं अपनी उंगली उसके मुंह से नहीं निकल रही थी। उसने मेरा हाथ पकड़ कर मेरी उंगली मुंह से बाहर निकाली।
अब मैंने जनबुझ कर एक बार ऐसाक्रिम अपनी छत पर गिरा दी जो मेरे बड़े से गोल उबर पर टिक गई। मैंने एक हाथ में कप पकड़ा था और दूसरे में चमचा।
मैंने राहुल को कहा- राहुल ये देखो, ऐसाक्रिम गिर गई इसे उठा कर मेरे मुंह में डाल दो।
हां देख कर तो राहुल की हालत देखी नहीं जा रही थी, उसका लौड़ा अब उससे भी नहीं संभल रहा था…उसने डरे हुए मेरे हाथ से छम्माच लेने की कोशिश की मगर मैंने कहा-…अरे राहुल, हाथ से काम दो . छम्मच से तो खुद भी दाल सकती थी।
याह सुन कर तो वो ओवर चौक गया.. फिर उसका कनपटा हुआ हाथ मेरे मम्मे की तरफ बढ़ा ओवर एक उंगली से उसे ऐसाक्रिम उथै ओवर फिर मेरे मुंह में डाल दी। मैंने उसकी उंगली अपने दांतों के नीचे दबा ली और अपनी जुबान से चाटने लगी।
उसने खींच कर अपनी उंगली बाहर निकाल ली तो मैंने कहा- क्यों देवर जी दर्द तो नहीं हुआ..?
उसने कहा- नहीं भाभी…. मैंने कहा- फिर इतना दर्द क्यों रहे हो…. उसने कहा- नहीं भाभी, दर्द कैसा…?
मैंने कहा- मुझे तो ऐसा ही लग रहा है… फिर मैंने छम्माच फेंक दी और अपनी उंगली से उसे ऐसा ठीक से चाटने लगी.. वो दर्द भी रहा और शर्मा भी रहा था और चुपचाप मेरी उंगली चाट रहा था.. मैंने कहा – अब मुझे भी खिलाओ… तो उसने भी उंगली से मुझे ऐसाक्रिम खिलानी शुरू कर दी… मैं हर बार उससे कोई ना कोई शरारत कर रही थी, वो ज्यादा घबरा रहा था.. आखिर ऐसाक्रिम खत्म हो गया, ठीक है से बैठ गये.
मैंने उसे कहा- राहुल, मैं तुम्हें कैसी लगती हूं?
उसने कहा- बहुत अच्छी!
तो मैने पुछा- कितनी अच्छी?
उसने फिर कहा- बहुत अच्छी! भाभी…. फिर मैंने कहा- मेरी एक बात मानोगे..?
उसने कहा- हन बोलो भाभी…?
मैंने कहा- मेरी कमर में दर्द हो रहा है, तुम दबा दोगे…?
उसने कहा- ठीक है… तो मैं उलटी होकर लेट गई… वो मेरी कमर दबाने लगा… फिर मैंने कहा- वो क्रीम भी मेरी कमर पर लगा दो… तो वो उठ कर क्रीम लेने गया तब मैंने अपनी कमीज़ उतार दी… अब मेरे मम्मे ब्रा पुरुषों से साफ दिख रहे थे।
हां देख कर राहुल बुरी तरह से घबरा गया और बोला- भाभी, हां क्या कर रही हो?मैंने कहा- तुम क्रिम लगाओगे तो कमीज़ उतारनी ही पड़ेगी…नहीं तो तुम क्रिम कैसे लगाओगे?
वो चुपचाप बैठ गया और मेरी कमर पर अपना हाथ चलाने लगा… फिर मैं उसके सामने सीधी हो गई और कहा- राहुल रहने दो, आओ मेरे साथ सो जाओ.. उसने कहा- नहीं भाभी! मैं आपके साथ कैसे सो सकता हूं… मैंने कहा- क्यों नहीं सो सकता…?
तो वो बोला- भाभी आप रात हो या मैं आपके साथ नहीं तो सकता… मैंने उसकी बाजू पकड़ी और अपने ऊपर गिरा लिया… और कस कर पकड़ लिया… मैंने कहा- राहुल तुम्हारी कोई सहेली नहीं है क्या?
उसने कहा- नहीं भाभी….अब मुझे छोड़ो… मैंने कहा- नहीं राहुल, पहले मुझे अपनी दर्द में दिखाओ कि क्या है जो तो मुझसे छिपा रहे हो…?वो बोला- नहीं भाभी, कुछ नहीं है … मैंने कहा- नहीं मैं देख कर ही छोड़ूंगी.. मुझे दिखाओ क्या है इसामें… वो बोला- भाभी, इसे पेशब करते हैं… अपने भैया का देखा होगा… मैंने फिर कहा- मुझे तुम्हारा भी देखना है…ओर उसको अपने हाथ में पकड़ लिया…हाथ में लेते ही मुझे उसकी गर्मी का एहसास हो गया।
राहुल अपना लौड़ा छुड़ाने की कोशिश करने लगा मगर मेरी उम्र उसकी एक ना चली…. फिर वो बोला- भाभी अगर किसी को पता चल गया कि मैंने आपको यह दिखाया है तो मुझे बहुत मर जाएगी।
मैंने कहा- ..राहुल, अगर किसी को पता चलेगा तो मर जाएगी…मगर हम किसी को नहीं बताएंगे।
फिर मैंने उसकी पेंट की हुक खोली और नीचे सरका दी… उसका कच्छा भी नीचे सरका दिया…. ओउर उसका बड़ा सा लौड़ा मेरे सामने था…. इतना बड़ा लौड़ा मैंने आज तक नहीं देखा था… मैं बोली- राहुल, तुम मुझसे इसे छुपाने की कोशिश कर रहे हो मगर यह तो अपने आप ही बाहर भाग रहा है…. राहुल ने जल्दी से अपने हाथ से उसे छुपा लिया और दर्द महसूस करने लगा मगर मैंने खींच कर उसकी दर्द उतार दिया कच्चा भी उतार दिया… अब मैंने ये मौका हाथ से नहीं जाने दिया और उसका लौड़ा झट से मुंह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी.. पहले तो वो मेरे सर को पकड़ कर मुझे दूर करने लगा मगर थोड़ी देर में ही वो शांत हो गया क्योंकि मेरी जुबान ने अपना जादू दिखा दिया था।
अब वो अपना लौड़ा चुसावने का मजा ले रहा था, मैं उसके लौड़े को जोर जोर से चूस रही थी और राहुल बिस्तार पर बेहाल हो रहा था… उसे भी अपने लौड़ा चुसावने में मजा ले रहा था, उसके मुंह से सिसकियां निकल रही थी .फिर उसके लौड़े ने अपना सारा माल मेरे मुँह में उगल दिया, लेकिन मेरा मुँह उसके माल से भर गया। मैंने सारा माल पी लिया.
मैं अपने हाथों को चाटती हुई ऊपर बोली- राहुल अब तुम्हें कुछ देखना है तो बताओ? मैं देखती हूं!
उसने मेरे मम्मों की या देखा उल्टा बोला- भाभी, आपके तो मैंने देखा झूठ… मैंने कहा- कुछ और भी देखोगे…?
उसने कहा- क्या… मैंने उसे कहा- मेरी कमर से ब्रा की हुक खोलो!
तो उसने पीछे आकर मेरी ब्रा खोल दी… मेरे दोनों कबूतर आजाद हो गए, फिर मैं उसकी या घूमी उसे कहा- अच्छी तरह से देखो हाथ में पकड़ करा… उसने हाथ लगाया और फिर मुझसे बोला- भाभी, मुझे बहुत डर लग रहा है… मैंने कहा- किसी से मत डरो! किसी को पता नहीं चलेगा! और जैसा मैं कहती हूँ तुम वैसे ही करो, देखना तुम को कितना मजा आता है…
तो उसने मेरी सालावर उतार दी और मुझे नंगी कर दिया…अब हम दोनों नंगे थे।मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया और अपने साथ ले लिया। फिर मैंने उसे चूम लिया या फिर मेरी तरह वो भी मेरे चूमने लगा।
अब उसका दर्द कम हो चुका था और शर्म भी… अब मैं उसके मुंह के ऊपर अपनी चूत रख कर बैठ गई, ऊपर कहा- जैसे मैंने तुम्हारे लौड़े को चूसा है तुम भी मेरी चूत को चाटो, अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर घुसाओ।
वो मेरी चुत चाटने लगा, उसे अभी तक चुत चाटना नहीं था लेकिन फिर भी वो पूरा मजा दे रहा था.. मेरी चुत से पानी निकल रहा था जिसे वो चाटा जा रहा था यार कभी तो मेरी चुत के होठों को अपने दांतों से कात भी देता था जो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था… उसका लौड़ा फिर से तन चुका था।
अब मैं उठी और अपनी चूत को उसके लौड़े के ऊपर सैठ कराके बैठ गई, मेरी गिली चूत में उसका लौड़ा आराम से घुस गया पर उसका लौड़ा बहुत बड़ा था, थोड़े ही अंदर जाने के बाद मुझे लगने लगा कि यह तो मेरी चूत को फाड़ डालेगा .
शायद उसको भी तकलीफ हो रही थी, वो बोला- भाभी, मेरा लौड़ा आपकी चूत से दब रहा है।
मैंने कहा- बस थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा… पहली बार में सबको तकलीफ होती है।
मैंने थोड़ी देर आराम से लौड़ा अंदर-बाहर किया। फिर जब वो भी आला से अपने लौड़े को अंदर ढकेलने लगा तो मैं भी अपनी गांड उठा कर उसके लौड़े का मजा लेने लगी… अब तक वो भी पूरा गर्म हो चूका था, उसने मुझे अपने आला आने के लिए कहा तो मैं वैसे ही लोड़े अंदर झूठ बोल रहा था एक तरफ से होकर उसके लिए एक जगह और वो ऊपर आ गया।
वो मुझे जोर जोर से धक्के मारना चाहता था। मैंने अपनी टांगों को उसकी कमर में घुमा लिया ताकि उसका लौड़ा बाहर ना निकल सके।
फिर वो उम्र-पिछड़े होकर धक्के मारने लगा… मैं भी नीचे से उसका साथ दे रही थी, अपनी गांड को हिला हिला कर… काफी देर तक हमारी चुदाई चलती रही और फिर हम दोनों झड़ गए और वैसे ही लेट रहे। .. मेरी इस एक चुदाई से अभी प्यास नहीं बुझी थी, इसलिए मैंने फिर से राहुल के ऊपर जाकर उसका गर्म करना शुरू किया मगर वो तो पहले से ही तैयार था, अब उसने कोई शर्म नहीं दिखाई, बल्कि मुझे घोड़ी बनाने के लिए बोल दिया। .. मैंने भी उसके सामने अपनी गांड उठाई झुका दिया, फिर उसने अपना बड़ा सा लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया… उसके पहले धक्के ने ही मेरी जान ले ली, उसका लौड़ा मेरी चूत फाड़ कर अंदर घुस गया….मगर मैं ऐसी ही चुदाई चाहती थी… उस दिन राहुल ने मुझे तीन बार चोदा वो चौथी बार मेरी गांड चोदना चाहता था मगर तब तक मेरे सास-ससुर के आने का वक्त हो चुका था इसलिए मैंने उसे फिर किसी दिन के झूठ कहा, लेकिन वो भी मन गया…